1. संवेदनशीलता (Consciousness)
संवेदनशीलता एक महत्वपूर्ण मनोवैज्ञानिक अवधारणा है जो मनुष्य की जागरूकता और अनुभव को समझने के लिए प्रयोग की जाती है। यह शब्द आत्मचेतना को संकेत करता है, जिसमें व्यक्ति अपने आसपास के घटनाओं, अनुभवों, और अंदरूनी मन की स्थितियों को संज्ञान में लेता है। संवेदनशीलता व्यक्ति की जागरूकता को संदर्भित करती है और उसकी संवेदना की गहराई और अद्यतितता को प्रकट करती है। इसे अक्सर जागरूकता या चेतना की ऊँचाई के रूप में समझा जाता है।
2. मनोविज्ञान (Psychology)
मनोविज्ञान एक अनुशासन है जो मनुष्य के मन की प्रक्रियाओं, व्यवहार, और मानसिक स्वास्थ्य की अध्ययन करता है। यह विज्ञान मनुष्य के मानसिक कार्यों, विचारों, भावनाओं, और व्यवहार को समझने का प्रयास करता है। मनोविज्ञान के अध्ययन क्षेत्र में व्यक्तित्व, संचित सामग्री, आत्म-संवेदना, स्वास्थ्य और व्यवहारिक विकृतियों के अध्ययन शामिल होते हैं। इसका मुख्य उद्देश्य व्यक्तियों के विकास और उनकी मानसिक स्वास्थ्य को समझना है।
3. आत्म-जागरूकता (Self-awareness)
आत्म-जागरूकता का अर्थ होता है व्यक्ति की अपनी स्थिति, भावनाएं, और क्रियाएँ के प्रति जागरूकता। यह विशेष रूप से उसकी अंदरूनी धारणाओं, महत्वाकांक्षाओं, गुणों, और कमजोरियों के प्रति जागरूकता को संदर्भित करता है। आत्म-जागरूकता के माध्यम से व्यक्ति अपने विचारों, भावनाओं, और कार्यों को समझता है और अपने आप को संपूर्णतः अवलोकन कर पाता है। यह एक महत्वपूर्ण मानसिक गुण है जो व्यक्ति के व्यक्तित्व और स्वयं के प्रति जागरूकता में मदद करता है।
4. संवेदना (Emotion)
संवेदना का अर्थ होता है मानसिक अवस्था जो विभिन्न भावनाओं, भावों, और भावनात्मक प्रतिक्रियाओं के साथ जुड़ी होती है। यह मनुष्य की मानसिक स्थिति को व्यक्त करने का एक तरीका है। संवेदनाएँ विभिन्न प्रकार की होती हैं, जैसे खुशी, दुःख, गुस्सा, आशा, भय, आदि। इन संवेदनाओं के अनुभव के माध्यम से हम अपने आसपास की घटनाओं और स्थितियों के प्रति कैसे प्रतिक्रिया करते हैं, इसका पता लगा सकते हैं। यह मानवीय संवेदनाएँ हमारे समाजिक, भावनात्मक, और भौतिक विचारों और क्रियावलियों को प्रभावित करती हैं।
5. व्यक्तित्व (Personality)
व्यक्तित्व का अर्थ है व्यक्ति की विशेषता, आचरण, विचारधारा, और भावनात्मक स्वभाव। यह व्यक्ति के व्यवहार, सोचने का तरीका, और उसके सामाजिक और व्यक्तिगत संबंधों को परिभाषित करता है। व्यक्तित्व उसकी अद्वितीयता और स्वभाव को व्यक्त करता है, जो उसे अन्य व्यक्तियों से अलग बनाता है। यह विभिन्न कारकों के संयोजन से निर्मित होता है, जैसे जन्म से, परिवार, समाज, और पर्यावरण। व्यक्तित्व का अध्ययन व्यक्ति के संजीवन, समाजिक स्थिति, और प्रतिभागिता में महत्वपूर्ण होता है।
6. संवेदनात्मक विकार (Psychological disorders)
संवेदनात्मक विकार का मतलब होता है मानसिक स्वास्थ्य के अवरोधित या अस्वाभाविक हालात जिनमें व्यक्ति की विचारशक्ति, भावनात्मक संतुलन, और व्यवहार प्रभावित होते हैं। ये विकार मनोवैज्ञानिक समस्याओं को संकेत करते हैं जो व्यक्ति की दैनिक जीवन और सामाजिक अभिवृद्धि में बाधा डाल सकती हैं। कुछ सामान्य संवेदनात्मक विकारों में शामिल होते हैं डिप्रेशन, एक्साइटी, बिपोलर विकार, शिजोफ्रेनिया, और प्रतिविकारी संवेदनात्मक विकार। इन विकारों के लक्षण और प्रभाव व्यक्ति के आत्मिक और सामाजिक जीवन को प्रभावित कर सकते हैं, और उपचार और सहायता की आवश्यकता हो सकती है।
7. सामाजिक सम्बंध (Social relationships)
सामाजिक सम्बंध का मतलब होता है व्यक्ति के द्वारा अन्य व्यक्तियों के साथ बनाए गए संबंध। ये संबंध उन्हें परिपक्वता, समर्थन, संबल, और संगठन करने में मदद करते हैं। सामाजिक संबंध विभिन्न रूपों में हो सकते हैं, जैसे परिवारिक, मित्रीय, पेशेवर, और रोमांटिक। ये संबंध व्यक्ति की सामाजिक और प्रारंभिक शैली का प्रतिनिधित्व करते हैं और उसके सामाजिक जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। व्यक्ति के सामाजिक संबंध उसकी खुशी, संतुष्टि, और आत्मसम्मान के लिए महत्वपूर्ण होते हैं।
8. मनोवैज्ञानिक विकसिति (Psychological development)
मनोवैज्ञानिक विकास का मतलब है व्यक्ति के मानसिक और भावनात्मक प्रक्रियाओं और कौशलों का विकास। यह विकास जीवन के विभिन्न चरणों में होता है, जैसे बचपन, किशोरावस्था, और वयस्कता। मनोवैज्ञानिक विकास के दौरान, व्यक्ति के मानसिक प्रक्रियाएँ, सोचने के तरीके, सामाजिक और इंटरपर्सनल कौशल, संबंधों की गुणवत्ता, और स्वास्थ्य परिवर्तित होते हैं। यह प्रक्रियाएं व्यक्ति के व्यक्तित्व और उसके व्यवहार में महत्वपूर्ण परिवर्तनों का कारण बनती हैं। मनोवैज्ञानिक विकास का अध्ययन विभिन्न प्रकार की गतिशीलता, सामाजिकीकरण, बाल-यौवन, और बुद्धिमत्ता की प्रक्रियाओं पर केंद्रित होता है।
9. मनःशास्त्रीय उत्थान (Cognitive development)
मनःशास्त्रीय उत्थान का अर्थ है व्यक्ति के मानसिक कौशलों और ज्ञान की विकास प्रक्रिया। यह उत्थान बच्चों और युवाओं के लिए नहीं होता, बल्कि यह जीवन के हर चरण में होता है। मनःशास्त्रीय विकास के दौरान, व्यक्ति के मानसिक कौशल, सोचने की क्षमता, ध्यान, स्मृति, भाषा, और समस्या समाधान की क्षमता में सुधार होता है। यह उत्थान अधिकतर बालों और युवाओं के लिए शिक्षा, खेल, और अन्य गतिविधियों के माध्यम से होता है, लेकिन यह जीवन के अन्य चरणों में भी होता है जैसे व्यावसायिक और सामाजिक संबंधों में भी।
10. स्मृति (Memory)
स्मृति का अर्थ होता है ज्ञान या जानकारी को स्थायित्व देने और स्थायी रूप से संचित करने की क्षमता। यह वह मानसिक प्रक्रिया है जिसमें व्यक्ति अनुभवों, ज्ञान, और अन्य सूचनाओं को संग्रहित करता है और उसे बाद में पुनः प्राप्त करता है। स्मृति का अध्ययन मनोवैज्ञानिक शिक्षा में बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह हमारी सीखने और अनुभव की प्रक्रिया को समझने में मदद करता है। स्मृति के कई प्रकार होते हैं, जैसे की आधारभूत स्मृति, कार्यान्वित स्मृति, और अधिगमी स्मृति।
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